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सुभाष रतनपाल



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जगदलपुर। शहर के खड़कघाट से इंद्रावती नदी पर उच्चस्तरीय सेतु निर्माण कार्य प्रस्तावित किया गया है। जिसके निर्माण से पहले खड़कघाट क्षेत्र के कुछ परिवार को पीडब्ल्यूडी सेतु निर्माण विभाग द्वारा नोटिस जारी कर एक महीने के अंदर मकान खाली करने कहा जा रहा है। जिसके बाद से यहां निवासरत लगभग 20-22 परिवारों के लगभग 80 सदस्य मानसिक पीड़ा से जूझ रहें हैं। साथ ही अपनी समस्या लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हो गये हैं। प्रभावितों के द्वारा शुक्रवार को बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं समेत लगभग 50 से अधिक प्रभावित लोग कलेक्टर और कमिश्नर कार्यालय पहुंचे। जहां ज्ञापन सौंपकर प्रभावितों ने प्रशासन से राहत की गुहार लगाई है।

वार्डवासियों ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि उक्त भूमि पर लगभग सभी परिवार 35 से 50 वर्ष की अवधि से निरंतर निवासरत है। उस समय हालात ऐसे थे कि घर-घर बिजली नहीं रहना, पानी की सुविधा न रहने की वजह से नदी से झरिया पानी घरों तक लाकर पीना तथा कई बार वर्षा ऋतु में घरो में पानी घुसने से नुकसान के बावजूद पुनः अपने घर को सुधार कर रहना, इन परिस्थियों से गुजर कर हमने अपना जीवन यापन करते हुए घर नही छोड़ा तथा संघर्ष करके नया जीवन की शुरूआत किया गया क्यों कि इसके अलावा अपना और कहीं निवास नहीं है। 30-35 साल कच्चे मकान में रहने के बाद घर के सदस्य छोटे-मोटे रोजगार कर धीरे-धीरे जोड़-तोड़ कर वर्तमान में इन पक्के घरों का निर्माण किया गया है। 

उक्त भूमि का सन् 1997 में राजीव गांधी आश्रय योजनान्तर्गत 30 वर्षीय पट्टा शासन द्वारा जारी किया गया है। मकान निर्माण के दौरान भविष्य को देखते हुए सड़क से 30 से 35 फिट की दूरी भी छोड़ी गई है तथा जगदलपुर नगर निगम द्वारा निर्धारित सम्पति कर व अन्य करों का नियमानुसार भुगतान भी वर्षो से किया जा रहा है। हम इस बात से अनभिज्ञ रहे की इस ओर से उच्चस्तरीय पुल का निर्माण कभी होगा? प्रभावितों ने कलेक्टर को बताया कि पुल निर्माण में सड़क के एक तरफ के हिस्से से मापा गया है, जिससे एक तरफ जितने भी मकान है उनको थोड़ना ही नहीं बल्कि भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। सेतु निर्माण कार्यालय द्वारा जब से नोटिस दिया गया है घर के माता-पिता और अन्य सदस्य भारी मानसिक तनाव से गुजर रहे है।

प्रभावितों का कहना है हमें ज्ञात है कि पुराने पुल के जर्जर होने व बार-बार बाढ़ का पानी पुल के उपर से बहने के कारण आवागमन बाधित हो रहा है। अतः इस ओर से नया पुल निर्माण प्रस्तावित है। जिसका निर्माण एनएच-30 से खड़कघाट मुक्तिधाम तक किया जाना है। संभवतः सर्वेकर्ता इस बात से अनभिज्ञ है कि इंद्रावती नदी में बाढ़ आने पर मुक्तिधाम से समुंद चौक के बीच भी बाढ़ का पानी 4-5 फिट सड़क पर आता है, जिसकी पुष्टि केन्द्रीय जल आयोग कार्यालय के द्वारा की जा सकती है। उक्त स्थिति वर्ष 1987 व 2010 में यह स्थिति निर्मित हुई थी तथा भविष्य में भी यह स्थिति होने की संभावना है, जिससे इस मार्ग पर आवागमन बाधित होगा ही। सड़क पर पानी की बाधा को रोकने के लिए सड़क उंची करने से नदी के किनारे की बसाहट पर और ज्यादा बाढ़ का गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। जीवन और मृत्यु का सामना करते हुए हमने जो कठिन परिस्थितियों में तिनका-तिनका जोड़कर दो-तीन दशक के बाद घरों का निर्माण किया है। बनाये गये घरों को न तोड़ते हुए कोई अन्य उपाय करें। सहानुभूति, न्यायपूर्वक विचार कर हमें अपने घर से बेदखल न करते हुए हमें राहत प्रदान की करें। 
ज्ञापन सौंपने के दौरान कलेक्टर चंदन कुमार ने मामले की जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करने की बात कही। वहीं डिप्टी कमिश्नर बीएस सिदार ने इस विषय की जानकारी कमिश्नर तक पहुंचाने की बात कही।

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