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आशीष तिवारी

क्रास जेंडर मसाज ,छत्तीसगढ़ की संस्कृति नहीं:-प्रज्ञा निर्वाणी
आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in.रायपुर(छ.ग.)

*सेंटर फॉर सोशल लर्निंग की को फाउंडर प्रज्ञा निर्वाणी ने महिला आयोग की अध्यक्ष को लिखे पत्र में माँग की:*
*राज्य में क्रॉस जेंडर मसाज बंद हो, स्पा सेंटरों के लिए नैतिक निगरानी समिति का गठन हो*

रायपुर।सेंटर फॉर सोशल लर्निंग के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर ,दुर्ग,भिलाई ,कोरबा जगदलपुर और अम्बिकापुर जैसे बड़े शहरों में स्पा या मसाज सेंटर के आड़ में चल रहे सेक्स रैकेट पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए एक रिपोर्ट एवम सुझाव महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक को भेज ,इन नगरों और अब छोटे कस्बों में संचालित स्पा और मसाज सेंटरों की गहन जांच कराने की मांग की है। सेंटर फॉर सोशल लर्निंग की सह संस्थापक प्रज्ञा निर्वाणी ने कहा है कि राज्य के बड़े शहरों में खुल रहे 90% मसाज पार्लर में मसाज के नाम पर सिर्फ गलत एडल्ट एक्टिविटी होती है। इन सेंटरों के डस्ट बीन में समय समय पर पुलिस को मिले यौन सामग्री इन बातों की तस्दीक करते हैं।

*25 हजार नगद पुरुस्कार की घोषणा:
 सेंटर फॉर सोशल लर्निंग ने ऐसे सेंटरों में होने वाली अनैतिक गतिविधियों के खुलासा करने वालों को 25 हजार रुपये नगद पुरुस्कार देने की घोषणा भी की है। सेंटर फॉर सोशल लर्निंग की तरफ से कहा गया है कि जो कोई भी ऐसी गतिविधियों की मोबाइल रिकार्डिंग कर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय को जानकारी देगा, इत्तला करेगा उसे यह पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

*प्रज्ञा निर्वाणी ने कहा कि*
छत्तीसगढ़ की संस्कृति को दूषित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे असामाजिक तत्वों के मंसूबो को यहां सफल नही होने दिया जाएगा, माता कौशल्या की भूमि,जहां राम गमन पथ बना वहीं कुछ बाहरी तत्व जिन्हें राज्य की संस्कृति से न तो कोई लगाव है और न ही सरोकार है, सेंटर फॉर सोशल लर्निंग के सदस्यों ने यह भी कहा कि यह सब बड़े शहर के प्रतिष्टित महंगे आवासीय कालोनियों और बड़े शॉपिंग मालों में बड़े ही व्यावसायिक तरीके से संचालित हो रहे हैं,इसके बुकिंग के लिए मोबाइल एप्प से लेकर टेली कालिंग के द्वारा ऑफर भी दिए जाते हैं, कोई भी सभ्य समाज ऐसे गतिविधियों पर हाथ मे हाथ रखकर नही बैठ सकता हम सबकी महती जिम्मेदारी है आधुनिकता की दौड़ में फुहड़ता न पनपे।
सेंटर फॉर सोशल लर्निंग की फाउंडर प्रज्ञा निर्वाणी ने कहा कि ऐसे संस्थानों पर अंकुश लगाना सिर्फ सत्ताधारी और राजनैतिक दलों की जिम्मेवारी नही बल्कि सभी सामाजिक संस्थान, मीडिया संस्थान, पक्ष विपक्ष शासन, प्रशासन के लोगों की भी नैतिक जिम्मेदारी है, हमे अगर अपने सनातन सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है तो यह चिंतन भी आवश्यक है कि हम कैसे समाज कि रचना की ओर अग्रसर हो रहे हैं, और आने वाली पीढ़ी को इसके क्या दुष्परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। इन की आंच देर सबेर सब के चौखट तक पहुचेगी अगर समय रहते मिलजुल कर इस पर कार्यवाही नही हुई तो समाज पर बहुत बुुुरा असर पड़ेगा।

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