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आशीष तिवारी

पांच साल में एक चौथाई से ज्यादा घट गए मरीज, मलेरिया उन्मूलन में पहले स्थान पर छत्तीसगढ़ : सिंहदेव

आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in. रायपुर(छ.ग.)
मलेरिया बीमारी देश के लिए तो बड़ी समस्या है ही साथ ही भारत के पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा और मेघालय के लिए बड़ी चुनौती भी है। देश में 2019 में मलेरिया के कुल मामलों में से 45.47 प्रतिशत मामले इन राज्यों में ही दर्ज किए गए थे। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टी एस सिंहदेव राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी को बेहतर और चिकित्सा संसाधनों को सुलभ बनाकर मलेरिया एवं कालाजार जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे हैं। राज्य में मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों, कार्ययोजना और भविष्य के लक्ष्य पर राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टी. एस. सिंहदेव से विशेष बातचीत की गई। 

प्रश्न 1ः भारत और छत्तीसगढ़ में मलेरिया की मौजूदा स्थिति क्या है ?
उत्तर: कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में मलेरिया के उन्मूलन के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। 2019 में मलेरिया से 5 लाख 58 हजार लोगों की मौत हुई थी। 2020 में मरने वालों की संख्या 6लाख 27 हजार हो गई। मलेरिया के कुल मामलों में से 1.7 फीसदी मामले भारत में दर्ज किए गए और 1.2 फीसदी मौतें भारत में हुईं। हालांकि, पिछले 10 सालों में भारत में मलेरिया के मामलों में 42 फीसदी गिरावट आई है। छत्तीसगढ़ भारत के पांच राज्यों उड़ीसा, झारखण्ड, मध्य प्रदेश और मेघालय में से एक है, जहां मलेरिया के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। 2019 में देश भर में मलेरिया के कुल मामलों में 45.47 प्रतिशत मामले इन्हीं राज्यों में दर्ज किए गए। मलेरिया के प्रभाव को कम करने के लिए छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 2017 से 2021 के बीच राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या साल-दर-साल कम हुई है। 2017 में जहां 1,40,727 मरीज थे वही 2021 में 29,455 मरीज रह गए हैं। राज्य मलेरिया उन्मूलन की दृष्टि से अब तीसरे स्थान से पहले स्थान पर आ गया है। मलेरिया पर नियन्त्रण से लोगों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार हुआ है। एनिमिया जैसी क्रोनिक बीमारियों को दूर करने में मदद मिली है। खासतौर पर आदिवासी लोगों के स्वास्थ्य में सुधार आया है। 

प्रश्न 2ः मलेरिया उन्मूलन में  राज्य को मुख्य रूप से कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा ? 
उत्तर: छत्तीसगढ़ वनाच्छिदत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां बड़ी संख्या में आदिवासी निवास करते है। ऐसे क्षेत्रों में लोगों के पास बुनियादी सुविधाओ का अभाव रहता है। साथ ही शिक्षा व जागरूकता भी कम रहती है। इसे विस्तारित करने की आवश्यकता है जिससे मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों के प्रति जानकारी और जागरूकता बढ़ सके ताकि इनके बढ़ने का खतरा कम हो जाये। लेकिन, हम लोगों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्र  सरकार व अन्य सहयोगी संस्थाओं  के साथ बेहतर तालमेल के जरिए अब राज्य में इस बीमारी पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है। 
प्रश्न 3ः मलेरिया मुक्त बस्तर और मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को लागू करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तरः प्रदेश में बस्तर संभाग सर्वधिक प्रभावित रहा है। राज्य के मलेरिया उन्मूलन प्रयासों में सबसे ज्यादा ध्यान इसी क्षेत्र के ज़िलों पर दिया गया। ‘मलेरिया मुक्त बस्तर’ प्रोग्राम के चलते राज्य में मलेरिया तथा सालाना पैरासिटिक मामलों की संख्या में कमी आई। अप्रैल 2022 तक, बस्तर संभाग में अभियान के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। इन प्रयासों के तहत स्वास्थ्य कर्मियों और मितानिनों ने दूर-दराज के गांवों का दौरा किया और ज़िले के जंगलों एवं पहाड़ी इलाकों में जाकर लोगों की मलेरिया जांच की। जिन लोगों में यह जांच पॉज़िटिव आई, उन्हें दवा की कम से कम दो खुराक दी गई। बाद में इसे मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के रूप में पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया।
प्रश्न 4ः छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मामलों में कमी लाने में कौन-सा हस्तक्षेप सबसे ज्यादा कारगर साबित हुआ है ? 
उत्तर:  राज्य में मलेरिया के मामलों में कमी लाने के लिए सरकार के विभिन्न विभाग कई तरह से प्रयास कर रहे है। 
इसके साथ ही कई समाधानों जैसे एल.एल.आई.एन. छोटे जल निकायों में मच्छर के लार्वा खाने वाली मछलियां पालना, आशा कर्मचारियों को मलेरिया के निदान एवं देखभाल में प्रशिक्षण देना आदि भी किए जा रहे हैं। मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों में अन्तर्क्षेत्रीय दृष्टिकोण बेहद महत्वपूर्ण रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं अन्य प्रोग्रामों के तहत विभिन्न अवयवों की इंटीग्रेटेड सर्विस डिलीवरी मलेरिया के उन्मूलन में महत्वपूर्ण है। कुछ मुख्य क्षेत्र जहां सहयोगी संस्थाएं और स्वास्थ्य विभाग एक साथ काम करके बड़े प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं, इसमें सामुदायिक प्रयास, सरकारी प्रोग्रामों की जवाबदेही तय करना, स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार में सुधार और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
प्रश्न 5ः आप इस बीमारी को लेकर छत्तीसगढ़ वासियों को क्या संदेश देना   चाहेंगे ?
उत्तरः छत्तीसगढ़ वासियों को मैं यह कहना चाहूंगा कि मलेरिया को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों व सरकारी रोकथाम उपायों का लाभ उठायें। वे इस बीमारी व इसकी वजहों को जानें। घरों में व आसपास सफाई रखें। ऐसे जल जमाव या दूषित जगह न रहने दें जिससे मच्छरों के पनपने का खतरा हो। बुखार होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। झाड़-फूंक के प्रभाव में न रहें और वैज्ञानिक तरीका अपनायें। हम सबको मिल कर शीघ्र ही इस बीमारी को अपने राज्य से पूरी तरह समाप्त करना है।

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