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सुभाष रतनपाल

जगदलपुर/प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य सिंह बिसेन के मार्गदर्शन में व बस्तर जिला एनएसयूआई के शहर जिलाध्यक्ष विशाल खंबारी के नेतृत्व में शुक्रवार को छात्र छात्राओं को हो रही समस्याओं,अनिमत्ताओं एवं प्राचार्य द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार एवं निम्नलिखित बिंदुओं को लेकर प्राचार्य को तत्काल हटाने की मांग कर 2 दिवसीय अनशन किया जा रहा है 

प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य सिंह बिसेन ने कहा की शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जगदलपुर की प्राचार्य छात्र हितैषी, जन हितैषी, संवेदनशील सरकार की छवि धूमिल कर रही है,महाविद्यालय में छात्र छात्राओं की कक्षाएं लगे या ना लगें इन्हे कोई चिंता नहीं रहती।
महाविद्यालय भवन के कमरों का दुरुपयोग हो रहा है वह छात्र छात्राओं के उपयोग में नही लाए जाते बल्कि बाबुओं का राज है,छात्रों के अध्यापन कक्ष की जगह बाबुओं के निजी चैंबर बने हुए हैं।

महाविद्यालय भवन में उपलब्ध कमरों का दुरुपयोग है और कोई लिखित प्रबंधन नही है, छात्रों को ऐसा कोई नोटिस बोर्ड नही मिलता जिससे छात्रों को पता चल सके कि कौन सा काम कहां होगा।

महाविद्यालय में छात्र छात्राओं को किताबें नही मिलती हैं न ही हिंदी में और न अंग्रेजी में जबकि आधा सत्र बीत चुका है। 

छात्र छात्रों के लिए स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था नही है, कमरों में बिजली और पंखों की व्यवस्था नही है,
छात्रों और छात्राओं के लिए प्रसाधन कक्ष नही है,

छात्रों और छात्राओं के लिए कॉमन रूम नही है,

जिला अध्यक्ष विशाल खंबारी ने कहा की खेल कूद की कोई व्यवस्था नही है।
छात्रों की समस्याओं को दूर करने वाले टीचर कहां मिलेंगे पता नही चलता, वे सब प्राचार्य के जी हुजूरी में लगे रहते है और छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं है और किसी एक जगह पर बैठे हुए भी नही मिलते।
विज्ञान संकाय के छात्र छात्राओं के लिए अच्छी प्रयोगशाला नही है और प्रायोगिक उपकरण और सामग्री कालातीत है।
ऑफिस में छात्र छात्राओं के साथ बदतमीजी की जाती है उनके काम समय पर नहीं होते।
छात्रों को कंप्यूटर्स देखने तक को नहीं मिलते जबकि प्रबंधन विधानसभा में इसकी झूठी जानकारी भेजता है की छात्र छात्राओं को कंप्यूटर उपलब्ध करा दिए गए हैं।

छात्रों के लिए हेल्प डेस्क में स्थाई तौर पर कोई भी बाबू नही बैठता।

छात्र छात्राओं के लिए वाहन पार्किंग की व्यवस्था नही है।

छात्र छात्राओं के लिए कैंटीन की व्यवस्था नही है।

परीक्षा के समय में छात्र छात्राओं को असुविधा होती हैं भीड़ लगने से पर्याप्त काउंटर की व्यवस्था तक नही की जाती।

प्राचार्य आए दिन महाविद्यालय मुख्यालय से बाहर रहती हैं वो, क्लास के समय घूम कर निरीक्षण नही करतीं और छात्र छात्राओं की समस्या पूछती तक नही है।

प्राचार्य की परीक्षा संबंधी कार्यप्रणाली (पूरक उत्तर पुस्तिका बिक्री) पर शिकायत हुई थी जिसके 7 दिन में जांच होनी थी और साढ़े 3 साल में नही हो सकी और इससे पहले बकावंड महाविद्यालय में भी छात्र छात्राओं से अवैध वसूली को लेकर ये कुख्यात रही हैं।
उनकी बहन जो परीक्षा धांधली में उनके साथ शामिल थी पढ़ाने के बजाए वे ज्यादातर प्रिंसिपल चैंबर में डटी रहती है और छात्र जब अपनी समस्याएं लेकर जाते है तो उनसे अभद्र व्यवहार करते है।

महाविद्यालय के अधिकांश शिक्षक शिक्षिकायें प्राचार्य की व्यक्तिगत सेवा में लगे रहते हैं और जी हुजूरी करते रहते हैं, ये लोग अध्यापन के समय में अन्य फालतू आयोजन करते रहते है जिससे छात्र छात्राओं का नुकसान होता है,
छात्र छात्राओं को पढ़ाने के बजाए इन्हे अन्य कामों में व्यस्त देखा जा सकता है और ये इसके लिए वे प्राचार्य के आदेश का उल्लेख करते हैं।

अध्यापन कक्ष गंदे रहते है अध्यापक और प्राचार्य, सफाई कर्मी बुलाकर सफाई तक नही करवाते।
महाविद्यालय में कोई भी काम नियम से नही होता प्राचार्य की तानाशाही जारी रहती है।
छात्र अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए बाबुओं शिक्षकों और प्राचार्य के चक्कर लगाते रहते हैं पर उन्हें उचित मार्गदर्शन देने के बजाए झूठे आश्वासन देकर भगा दिया जाता है।

छात्र छात्राओं के लिए महाविद्यालय में स्वास्थ परिक्षण के लिए कोई व्यवस्था नही है, छात्र छात्राओं के लिए छात्र हित में कोई कैरियर काउंसलिंग नही होती।
महाविद्यालय के और छात्रों के हित में एलुमिनी मिट नही करवाई जाती, प्राचार्य से छात्र जब भी मिले वह झूठ बोलकर बरगलाने या भ्रमित करने की कोशिश करती है,प्रवेश की प्रक्रिया में अनेकों धंधलिया हुई है रिजर्वेशन का पालन ढंग से नहीं किया गया और प्राचार्य के पास सीटों के संबंध में शासन के कोई आदेश नही होने की लापरवाही भी देखी गई जिसका दुष्परिणाम छात्र भुगतते हैं।

प्राचार्य लाखो रुपए की खरीदी करती हैं अपनी सुविधा के अनुसार छात्रों के पैसे से और छात्रों को इसकी जानकारी नहीं होती है, छात्र छात्राओं से कभी पूछा भी नही जाता है कि आपको महाविद्यालय में क्या विकास कार्य चाहिए, बाबू और अध्यापक भी यही कहते है की उन्हें भी नही पता।

पिछले दिनों में CCTV कैमरे खरीदे गए थे उसमें कोटेशन भेजने वाले लिपिक की पदस्थापना महाविद्यालय में नही है और यही कर्मचारी कोटेशन भी कॉल करता है और फर्म की तरफ से कोटेशन भेजता भी है, याने की प्राचार्य ही खरीददार है और प्राचार्य ही विक्रेता हैं, इसकी पुलिस जांच होनी चाहिए की कॉलेज के डिस्पैच और कंपनियों के डिस्पैच में उस कर्मचारी की राइटिंग कैसे मौजूद है, कोटेशन डाक से कॉल नही करते और डाक से लेते भी नही।

Pwd विद्युत यांत्रिकी से काम कराने के बजाए बिजली का सारा काम यही कर्मचारी और प्राचार्य मिलकर करते हैं, और निर्माण कार्य भी Pwd से कम करवाए जाते हैं
 प्राइवेट पार्टीज में प्राचार्य की विशेष रुचि रहती है

छात्र छात्राओं के पैसों की अवैध बंदरबांट के संबंध में छात्रों और महाविद्यालय के कर्मचारियों से कोई प्रस्ताव नहीं मांगे गए।
सरकारी खरीदी के मामले में भी प्राचार्य की मनमानी चलती है और कर्मचारियों की कोई जानकारी नहीं रहती नियमों का पालन नहीं किया जाता इसलिए इनके पूरे कार्यकाल की जांच जरूरी है।

महाविद्यालय में बरसाती झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है मगर प्राचार्य का ध्यान इस ओर नही है,महाविद्यालय के आंगन के अंदर दिनांक 28 और 29 अक्टूबर को पेड़ों की नियम विरुद्ध कटाई की गई है प्राचार्य 28 अक्टूबर को नारायणपुर जाकर लौट आई थी पर उन्होंने कटाई को नही रोका उनके पास इसकी कोई विधिवत अनुमति नहीं है और काटी गई लकड़ी के बड़े बड़े गोले प्राचार्य ने गायब करवा दिए जबकि ये शासकीय संपत्ति होती है।
28 अक्टूबर की संध्या और 29 अक्टूबर को प्राचार्य दिनभर मौजूद थी किंतु उन्होंने मनमाने ढंग से नीम जैसे चिकित्सकीय पौधे एवं काजू और आम जैसे फलदार वृक्षों के साथ अशोक के पेड़ भारी मात्रा में कटवाए हैं, CCTV कैमरे से पुष्ट हो सकता है को इन दोनो दिन कटाई हुई है।

छात्रों को नैक मूल्यांकन के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई उन्हें SSR (सेल्फ स्टडी रिपोर्ट) की कोई जानकारी नहीं है और ना ही उनके अभिभावकों और न ही महाविद्यालय के कर्मचारियों को इसकी जानकारी है।

जेल से खरीदे गए फर्नीचर के लाखों रुपए की खरीदी को गई है ये शासकीय संस्था है मजबूत फर्नीचर देती है किंतु कमीशन जैसे संदिग्ध कारणों से इनका भुगतान नहीं किया गया।

प्राचार्य के सम्पूर्ण कार्यकाल की खरीदी बिक्री और आर्थिक क्रिया कलापों की प्रशासनिक और ठोस जांच होनी चाहिए।

महाविद्यालय प्राचार्य के कुप्रबंधन का शिकार है महाविद्यालय को प्राचार्य ने निजी जागीर बना रखा है, जिसमे छात्र छात्राओं के हितों को ध्यान में नही रखा जाता और हमारी संवेदनशील सरकार की छात्र हितकारी योजनाओं को ध्यान में नही रखते हुए काम किया जाता है इसलिए हम इस प्राचार्य को तत्काल यह से हटाने और न्यायिक जांच की मांग करते हैं, छात्र हित में उन सभी अधिकारियों का पर्दाफाश किया जाएगा जो छात्रों के लिए शासन की कल्याणकारी योजनाओं को ध्वस्त कर देते है।

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