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आशीष तिवारी



*छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल में करोडो का फर्जीवाड़ा* 
*फर्जी मार्कशीट के आधार पर पंजीयन का खेल*
*छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार ने 22 पंजीयन धारकों का पंजीयन किया निरस्त*
*12वीं की फर्जी अंक सूची के आधार पर पंजीयन किया निरस्त*
आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in. रायपुर(छ.ग.)
रायपुर। मार्च माह में लगातार शिकायत मिलने के कारण छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के निर्वाचित सदस्यों ने रजिस्ट्रार से जानकारी चाही की आवेदको द्वारा लगातार शिकायत दर्ज हो रही है कि उनका पंजीयन नहीं किया जा रहा है। तब रजिस्ट्रार महोदय ने बताया कि कुछ आवेदको की 12 वीं की अंक सूची फर्जी होने की शिकायत प्राप्त हो रही है, इसलिए उनका पंजीयन रोका गया है। निर्वाचित सदस्यों ने बैठक में मुद्दा उठाया तो रजिस्ट्रार ने कहा की माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर को पत्र प्रेषित कर जवाब मांगा गया है जिसके प्रतिउत्तर का इंतजार है। उक्त संदर्भ में माध्यमिक शिक्षा मंडल का जवाब पत्र के माध्यम से मिला तो उसने छत्तीसगढ़ विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड बिलासपुर की 12 वी को अमान्य घोषित किया जा चुका है और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा की उक्त बोर्ड की मान्यता को तुरंत प्रभाव से समाप्त किया जा चुका है और उनके द्वारा जो 12 वी उत्तीर्ण की मार्कशीट दी जा रही है वो अमान्य है।





निर्वाचित सदस्यों ने रजिस्ट्रार महोदय से कहा कि इस संदर्भ में राज्य शासन को सूचित कर दिशा निर्देश प्राप्त करे एवं फार्मेसी एक्ट 1948 के अनुसार विधिसमत वैधानिक कार्यवाही करे, जिसके तहत पंजीकृत फार्मासिस्टों को नोटिस के माध्यम से सूचना देकर निर्धारित समय सीमा में उनका पक्ष प्राप्त कर कॉउन्सिल की बैठक में अग्रिम कार्यवाही हेतु रखें।
निर्वाचित सदस्यों ने मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए फर्जी अंकसूची के आधार पर पंजीयन धारको एवं लंबित पंजीयन आवेदनों के जाँच हेतु रजिस्ट्रार को निर्देशित किया।
जिसके तहत 31फार्मासिस्ट पंजीयन आवेदनों को रजिस्ट्रार महोदय ने सूचना जारी कर रद्द करने की कार्यवाही की।
सदस्यों की मांग पर जाँच समिति का गठन किया गया जिसमे डॉ श्री कान्त राजिमवाले , अश्विनी विग , अजय सिंह राजपूत , हीरा शंकर साहू , अश्विनी गुर्देकर , कैलाश अग्रवाल सदस्य है। 
इस जाँच समिति के माध्यम से लगभग 25000 पंजीयन धारको के दस्तावेजों के परीक्षण की जानी है।
सूत्रों का कहना है कि उक्त फर्जीवाड़े में कॉउन्सिल में पदस्थ व कार्यरत कर्मचारियों की मिली भगत के बिना संभव नही है। अतः इस बाबत कार्यालयीन कर्मचारियों के संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि अगर कॉउन्सिल में पूर्णकालिक रजिस्ट्रार उपस्थित रहते तो ऐसे फर्जीवाड़े को पूर्व में ही रोका जा सकता था जिसके बारे में स्वास्थ्य सचिव सहित माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को निर्वाचित सदस्यों द्वारा लगातार अवगत कराया जा रहा था। सूत्रों का मानना है कि रजिस्ट्रार की भी इस फर्जीवाड़े में संलिप्तता हो सकती है क्योंकि इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा आदेश पारित कर राज्य शासन के माध्यम से दिशा निर्देश समस्त शासकीय विभागों एवं शैक्षणिक संस्थानों को 2018 में सूचित किया जा चुका था। कॉउन्सिल के भार साधक अध्यक्ष माननीय स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिहदेव के पास रजिस्टर को हटाने बाबत एवं पूर्णकालिक रजिस्ट्रार की नियुक्ति के संदर्भ में अवगत कराया गया एवं पत्राचार भी किया गया,पर सरकार की अनदेखी ने इस फर्जीवाड़े के खेल में जैसे सहयोग कर दिया।
जानकारी दे दे की फार्मेसी कॉउन्सिल के वर्तमान भार साधक अध्यक्ष राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव है जिनका हवाला देकर रजिस्ट्रार महोदय ने कॉउन्सिल के मनोनीत सदस्यों के हटने के पश्चात कॉउन्सिल के चुनाव को न करवा कर पूर्णकालिक अध्यक्ष नही बनने दिया न ही कोविड एवं भार साधक अध्यक्ष विभागीय मंत्री व अपने 11 विभागों के प्रभार होने का हवाला देकर किसी भी तरीके की बैठक आहूत नही होने दिया। जिससे कॉउन्सिल में 3 साल तक कार्यालयीन कर्मचारियों एवं रजिस्ट्रार की मनमानी एवं भ्रष्टाचार का खेल चलता रहा।
वैसे पंजीयन का खेल पूर्व भारतीय जनता पार्टी शासन काल से चल रहा है और रजिस्ट्रार भी पूर्व सरकार के बहुत करीबी रहे है।
सूत्रों का कहना है की जाँच में 300 से 500 पंजीयन फर्जी हो सकते है, जिसमे विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड, बिलासपुर और देश के अन्य राज्यों के फर्जी बोर्ड की अमान्य अंक सूची के माध्यम से फार्मासिस्ट पंजीयन किया गया होगा।
सूत्रों के अनुसार उक्त फर्जी अंक सूची के आधार पर न सिर्फ देश के फार्मेसी संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया गया होगा बल्कि अन्य शिक्षण संकायों जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि आदि में भी लोगो ने प्रवेश प्राप्त कर डिग्री/डिप्लोमा हासिल कर लिया होगा जिसकी जाँच आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल ने ऐसे सभी फार्मेसी कॉलेज और विश्वविद्यालयो को नोटिस भेज कर जवाब माँगा है
जिन्होंने फर्जी अंकसूची के आधार पर अपनी शिक्षण संस्थाओं ने प्रवेश देकर फार्मेसी डिग्री/डिप्लोमा प्रदान कर  छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।साथ ही साथ फार्मेसी में प्रवेश हेतु अनिवार्य अहर्ताओं के जाँच हेतु गठित कॉउंसलिंग की समिति के भूमिका पर भी सवाल उठाया है।उक्त सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी माननीय प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शाशन,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग नवा रायपुर,रजिस्ट्रार फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली,समस्त जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं नियंत्रण खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़ शासन रायपुर को भी प्रेषित की गयी है।
निर्वाचित सदस्यों ने रजिस्ट्रार महोदय से कहा कि इस संदर्भ में राज्य शासन को सूचित कर दिशा निर्देश प्राप्त करे एवं फार्मेसी एक्ट 1948 के अनुसार विधिसमत वैधानिक कार्यवाही करे, जिसके तहत पंजीकृत फार्मासिस्टों को नोटिस के माध्यम से सूचना देकर निर्धारित समय सीमा में उनका पक्ष प्राप्त कर कॉउन्सिल की बैठक में अग्रिम कार्यवाही हेतु रखें।
निर्वाचित सदस्यों ने मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए फर्जी अंकसूची के आधार पर पंजीयन धारको एवं लंबित पंजीयन आवेदनों के जाँच हेतु रजिस्ट्रार को निर्देशित किया।
जिसके तहत 31फार्मासिस्ट पंजीयन आवेदनों को रजिस्ट्रार महोदय ने सूचना जारी कर रद्द करने की कार्यवाही की।
सदस्यों की मांग पर जाँच समिति का गठन किया गया जिसमे डॉ श्री कान्त राजिमवाले , अश्विनी विग , अजय सिंह राजपूत , हीरा शंकर साहू , अश्विनी गुर्देकर , कैलाश अग्रवाल सदस्य है। 
इस जाँच समिति के माध्यम से लगभग 25000 पंजीयन धारको के दस्तावेजों के परीक्षण की जानी है।
सूत्रों का कहना है कि उक्त फर्जीवाड़े में कॉउन्सिल में पदस्थ व कार्यरत कर्मचारियों की मिली भगत के बिना संभव नही है। अतः इस बाबत कार्यालयीन कर्मचारियों के संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि अगर कॉउन्सिल में पूर्णकालिक रजिस्ट्रार उपस्थित रहते तो ऐसे फर्जीवाड़े को पूर्व में ही रोका जा सकता था जिसके बारे में स्वास्थ्य सचिव सहित माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को निर्वाचित सदस्यों द्वारा लगातार अवगत कराया जा रहा था। सूत्रों का मानना है कि रजिस्ट्रार की भी इस फर्जीवाड़े में संलिप्तता हो सकती है क्योंकि इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा आदेश पारित कर राज्य शासन के माध्यम से दिशा निर्देश समस्त शासकीय विभागों एवं शैक्षणिक संस्थानों को 2018 में सूचित किया जा चुका था। कॉउन्सिल के भार साधक अध्यक्ष माननीय स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिहदेव के पास रजिस्टर को हटाने बाबत एवं पूर्णकालिक रजिस्ट्रार की नियुक्ति के संदर्भ में अवगत कराया गया एवं पत्राचार भी किया गया,पर सरकार की अनदेखी ने इस फर्जीवाड़े के खेल में जैसे सहयोग कर दिया।
जानकारी दे दे की फार्मेसी कॉउन्सिल के वर्तमान भार साधक अध्यक्ष राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव है जिनका हवाला देकर रजिस्ट्रार महोदय ने कॉउन्सिल के मनोनीत सदस्यों के हटने के पश्चात कॉउन्सिल के चुनाव को न करवा कर पूर्णकालिक अध्यक्ष नही बनने दिया न ही कोविड एवं भार साधक अध्यक्ष विभागीय मंत्री व अपने 11 विभागों के प्रभार होने का हवाला देकर किसी भी तरीके की बैठक आहूत नही होने दिया। जिससे कॉउन्सिल में 3 साल तक कार्यालयीन कर्मचारियों एवं रजिस्ट्रार की मनमानी एवं भ्रष्टाचार का खेल चलता रहा।
वैसे पंजीयन का खेल पूर्व भारतीय जनता पार्टी शासन काल से चल रहा है और रजिस्ट्रार भी पूर्व सरकार के बहुत करीबी रहे है।
सूत्रों का कहना है की जाँच में 300 से 500 पंजीयन फर्जी हो सकते है, जिसमे विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड, बिलासपुर और देश के अन्य राज्यों के फर्जी बोर्ड की अमान्य अंक सूची के माध्यम से फार्मासिस्ट पंजीयन किया गया होगा।
सूत्रों के अनुसार उक्त फर्जी अंक सूची के आधार पर न सिर्फ देश के फार्मेसी संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया गया होगा बल्कि अन्य शिक्षण संकायों जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि आदि में भी लोगो ने प्रवेश प्राप्त कर डिग्री/डिप्लोमा हासिल कर लिया होगा जिसकी जाँच आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल ने ऐसे सभी फार्मेसी कॉलेज और विश्वविद्यालयो को नोटिस भेज कर जवाब माँगा है
जिन्होंने फर्जी अंकसूची के आधार पर अपनी शिक्षण संस्थाओं ने प्रवेश देकर फार्मेसी डिग्री/डिप्लोमा प्रदान कर  छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।साथ ही साथ फार्मेसी में प्रवेश हेतु अनिवार्य अहर्ताओं के जाँच हेतु गठित कॉउंसलिंग की समिति के भूमिका पर भी सवाल उठाया है।उक्त सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी माननीय प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शाशन,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग नवा रायपुर,रजिस्ट्रार फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली,समस्त जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं नियंत्रण खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़ शासन रायपुर को भी प्रेषित की गयी है।

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