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आशीष तिवारी

भूमाफियाओं के हौसले बुलंद दतरेंगा तथा आउटर इलाकों पर 45 एकड़ जमीन पर चल रही अवैध प्लाटिंग:-

★प्रशाशन सोया हुआ,सुध लेने वाला कोई नही
★सरकारी जमीनों पर किये जा रहे कब्जे,कार्यवाही नही सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही
आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in. रायपुर(छ.ग.)
रायपुर। रायपुर शहर के आउटर क्षेत्रों तथा दतरेंगा में 45 एकड़ जमीन पर नामी बिल्डर द्वारा अवैध प्लाटिंग चल रही है जिसका संज्ञान लेने वाला कोई नही है एवं बेधड़क आउटर क्षेत्र के गाँवो में सरकारी जमीन को दबाए जाने का खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
जिला प्रशासन तथा नगर निगम भी सवालों के कटघरे में खड़ा दिखाई दे रहा है क्योंकि कार्यवाही कुछ नही हो रही है सिर्फ कार्यवाही के नाम पर फॉर्मेलिटी निभाई जा रही है।
निजी जमीनों पर बिना लेआउट,डायवर्सन व बिना नक्शा पास करवाये अवैध प्लाटिंग का खेल तो पेहले से चल ही रहा है पर सरकारी जमीनों पर भी अब भूमाफियाओं और रसूखदार लोगों का अवैध कब्जा कर प्लाटिंग का कार्य,नया नया प्रोजेक्ट लॉंच किया जा रहा है। दतरेंगा तथा आसपास के क्षेत्रों में किसानी जमीन एवं सरकारी जमीनो पर नामी बिल्डर कब्जा कर बेखौफ होकर प्लाटिंग का कार्य धड़ल्ले से करवा रहे हैं।
राजधानी में सरकारी जमीनों की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि कोई भी विभाग का जमीन हो वह सुरक्षित नही है,यहाँ तक कि अतिक्रमण,कब्जे हटाने वाली नगर निगम खुद अपनी ही जमीन नही बचा पा रही है।सरकारी विभाग का कोई भी विभाग हो पीडब्लूडी,वनविभाग, सिंचाई विभाग या अन्य एक भी विभाग इन भूमाफियाओं से बचा नही है जिस पर अवैध कब्जा कर प्लाटिंग का कार्य किया जा रहा है।
    ★ सीएम के फरमान जारी करने के बाद भी ये आलम है
जाहिर है कि इस अवैध कब्जे के खेल में राजस्व कर्मियों की मुख्य भूमिका तो है ही क्योंकि इनके बिना यह कार्य संभव ही नही है,जबकि मुख्यमंत्री द्वारा खुद यह निर्देश कई बार जारी किया जा चुका है की सरकारी जमीनों से कब्जे हटाये जाएं।नतीजा यह हो चुका है कि विभाग की लापरवाही के कारण कई जगहों पर पक्के निर्माण कार्य हो चुके हैं तथा कई जमीनें भूमाफियाओं द्वारा प्लाटिंग करके बेची भी जा चुकी है।
   ★ छुटभैय्या नेताओं के दबाव के कारण कार्यवाही नही हो रही
शहर के कुछ छुटभैय्या नेताओं की भी इसमें अहम भूमिका है जो अपने वर्चस्व को कायम रखने इस कार्य मे दखलंदाजी कर रहे हैं जिनके दबाव के कारण भी अधिकारी कोई कार्यवाही नही कर पा रहे और यही छुटभैय्या नेता बीच मे रहकर बिल्डरों के काम और अवैध प्लाटिंग के काम को करवाते हैं।
फलस्वरूप इन छुटभैय्या नेताओं को इनका हिस्सा इस कार्य को करने के लिए मिल जाता है, और इन सबकी जानकारी होते हुए भी अधिकारियों को इन रसूखदार लोगों पर कार्यवाही करने में असमर्थता का सामना करना पड़ता है।
राजधानी में फ्रंट की जमीनों पर सबसे ज्यादा नजर रहती है रसूखदार बिल्डरों कि जो किसी भी कीमत पर साम,दाम,दंड,भेद का इस्तेमाल कर यह जमीन ले लेते हैं क्योंकि आबादी बढ़ते ही इस जमीनों के द्वारा अच्छी खासी मोटी आमदनी इसी फ्रंट की जमीन से ही बिल्डरों को होती है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही ऐसे जमीनों पर धड़ाधड़ बिल्डरों ने निवेश किया और सरकारी या निजी कोई भी जमीन हो अपने कब्जे में कर लिया। विवादित जमीनों की खरीदी बड़ी ही होशियारी से इन बिल्डरों द्वारा की जाती है और जमीन को बेचकर आसानी से पचा भी लिया जाता है इन बिल्डरों तथा रसूखदार भूमाफियाओं के द्वारा।
मुख्य खेल तो इस तरह खेला जाता है कि रिहायशी इलाकों को कमर्शियल के नाम पर तब्दील कर दी जाती है औऱ करोड़ों-अरबों की सरकारी संपत्ति को निपटा दिया जाता है।
जो भी वैध-अवैध दस्तावेज हों वो अधिकारियों की मिलीभगत से एनओसी भी तैयार हो जाती है। रजिस्ट्री मकान बनवाने के नाम पर कि जाती है लेकिन वहाँ कमर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण किया जाता है।
बड़ी ही चतुराई से कई सालों पेहले लगभग 20 वर्ष से ही इन मुख्य मार्गों की जमीनों पर खरीद-फरोख्त के बाद उसको अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर दिया जाता है और जो जमीन देने में आनाकानी करने वालों पर ये अपने दलालों को इस कार्य के लिए लगवा देते हैं।इन दलालों के द्वारा ही फ्रंट की सभी ज़मीन पर दबाव बनाकर इस जमीन को दलालों के माध्यम से खरीद ली जाती है।
जमीन के फ्री होने के बाद अंदर की ज़मीन का लेआउट तैयार करवा कर दोनो जगह पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाता है।इसके बाद बिल्डर निगम से कंट्री प्लानिंग का लेआउट पास करवाता है और उस पर कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण कार्य करवाकर कई करोड़ों का राजस्व नुकसान सरकार का कर रही है। इसी तरह बहुमंजिला इमारत तैयार की जाती है औऱ सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाकर उद्योगपतियों द्वारा सरकार को लंबा चुना लगाने का काम कर रही है।
इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि ये एसडीम के अधिकार क्षेत्र में है एवं पूर्व में भी कुछ राजनीतिक दलों ने इस विषय पर शिकायत की थी।एसडीएम ने दतरेंगा में हो रहे 45 एकड़ के प्लाटिंग पर कहा कि खसरे को देखकर अगर अलग प्लाटिंग की जा रही होगी तो इसकी जाँच भी करवाएंगे।
पूर्व में भी निगम अमले द्वारा शिकायत मिलते ही दीनदयाल नगर तथा चंगोराभाठा में बुलडोजर चलाई गई है।सोचने वाली बात ये है कि क्या निगम अमले को दतरेंगा में चल रहे 45 एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग की जानकारी है या नही या फिर रसूखदारों के चलते निगम वहाँ कार्यवाही नही कर कर रही है।

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