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आशीष तिवारी

सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही” इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया बंग समाज के युवा नेतृत्व श्री जयदीप चक्रवर्ती ने:- प्रेस वार्ता का आयोजन 

बंगाली कालीबाडी समिति, रायपुर में आम सदस्यों के हक़-अधिकार,गौरव,सम्मान,अस्मिता के लिए पिछले 5 सालों से लड़ते रहे, हुई जीत:

आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmanews.in.रायपुर(छ.ग.)

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बंगाली कालीबाड़ी समिति से कोई भी अछूता नही है। कालीबाड़ी बंगाली समाज की संस्कृति, समाज, उत्थान, सेवा भावना और दुर्गा पूजन सिर्फ रायपुर शहर तक ही सीमित नही बल्कि पूरे मध्य भारत में यहां कि संस्कृति और नवरात्रि में दुर्गा पूजा को याद कर भाव विभोर होकर याद किया जाता हैं।
इसी संबंध में प्रेस वार्ता का आयोजन, जानिए क्या है पूरा मामला:
इस प्रेस वार्ता में युवा नेता जयदीप चक्रवर्ती ने बताया कि समस्त बंग भाषी जिस संस्था से जुड़े हुए हैं उसका नाम बंगाली कालीबाड़ी समिति रायपुर है जो कि छत्तीसगढ़ सोसायटी एक्ट 1973 के अनुसार बंगाली कालीबाड़ी समिति भी सोसायटी एक्ट 1973 के अंतर्गत आती है। इसके वनस्पत बंगाली कालीबाड़ी समिति स्वयं का अपना एक समिति का संविधान बना कर रखी हुई है! जिसका अनुसरण करते हुए सदस्यों का हित, सदस्यों को उपयुक्त सुविधाएं मुहैया कराना इस समिति का काम होता है। समिति अपने संविधान अनुसार काम ना करके असंवैधानिक तरीके से समिति का संचालन कर रही है।
जिसमें मैं ही नही बल्कि समिति के सैकड़ो सदस्यगण वर्षों से असंतुष्ट हैं।

सदस्यों ने कई बार समिति के पदाधिकारियों को पत्र के माध्यम से इस विषय पर अवगत कराना चाहा कि समिति कार्यकारिणी अपनी कार्यशैली में सुधार लावे परन्तु पत्र का जवाब उनके द्वारा किसी भी प्रकार से सदस्यों को नही दिया जा रहा था।
जयदीप जी ने बताया कि बार बार स्मरण पत्र करके समिति के अध्यक्ष, समिति सचिव को भी पुनः इसका स्मरण कराया, उसके बाद भी किसी प्रकार का जवाबी पत्र समिति के सदस्यों को नही दिया गया !
श्री चक्रवर्ती ने आगे बताया कि विवस्तापूर्वक सूचना का अधिकार अधिनियम (2005)के अंतर्गत समिति में पत्र लगवाने पड़े।
अत्यंत दुखद है कि *(समिति शासन से तीस वर्षों के लिए लीज़ पर प्राप्त103080 वर्गफुट मात्र 74/- रु. वार्षिक भू भाट्ख पर उक्त ज़मीन में क़ाबिज़ है व सांसदनिधी,विधायकनिधी से लाखों की राशि प्राप्त करती रही है!)* उसके बाद भी उन्होंने सूचना के अधिकार की अवहेलना की और उन्होंने उस पत्र को स्वीकार नही किया।
तत्पश्चात जयदीप चक्रवर्ती द्वारा राज्य सूचना आयोग में शिकायत कि गई,यह घटनाक्रम 2021 का बताया जा रहा है ।
2021 में राज्य सूचना आयोग ने सम्बन्धित शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पेशी की तारीख तय की।
उक्त पेशी की तारीख के समय समिति में तत्कालीन समिति का चुनाव माहौल था। इसी वजह से श्री जयदीप चक्रवर्ती पेशी में उपस्थित नही हो सके और समिति सचिव ने आयोग के समक्ष अपना झूठा लिखित जवाब दिया कि “बंगाली कालीबाड़ी समिति एक व्यक्तिगत संस्था है और किसी प्रकार का शासकीय अनुदान या सहायता बंगाली कालीबाड़ी समिति को नही मिलता इसके अंतर्गत सूचना का अधिकार बंगाली कालीबाड़ी समिति में लागू नही होता है।”
समिति सचिव के तर्को को सही मानते हुए राज्य सूचना आयोग ने जयदीप चक्रवर्ती के प्रकरण को नस्तीबद्ध कर फ़ैसला समिति के हक में दे दिया।
श्री जयदीप चक्रवर्ती का कहना है कि आयोग से जब पत्र के माध्यम से इन्हे प्रकरण नस्तिबद्ध होने की जानकारी मिली तो 2022 में उक्त फैसले पर उनके द्वारा उच्च न्यायालय, बिलासपुर (छ.ग.) में चुनौती पेश किया गया और उनके याचिका को स्वीकारते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सूचना आयोग, छत्तीसगढ़ को पुनः निर्देशित किया,कि वो मामले पर पुनः सुनवाई करे और शिकायतकर्ता के पक्ष को सुनने हेतू अग्रसर होवे।
वर्तमान में राज्य सूचना आयोग ने हाई कोर्ट के पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए इस केस को फिर से जीवित किया तथा बंगाली कालीबाड़ी समिति और श्री जयदीप चक्रवर्ती को भी तलब किया व दोनों पक्ष के तर्को को सुन कर अपना फ़ैसला जयदीप चक्रवर्ती के पक्ष में सुनाया है!फ़ैसले की प्रति छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के आधिकारिक वेब साईट पर अपलोड की जा चुकि है !
अतः अब माननीय राज्य सूचना आयोग के निर्देशानुसार सचिव,छत्तीसगढ़ शासन सामान्य विभाग को निर्देशित किया गया है कि 45 दिन के भीतर बंगाली कालीबाड़ी समिति अपने कार्यालय में जनसूचना अधिकारी एवम प्रथम अपीलीय अधिकारी की नियुक्ति कर सूचित करेगी एव सामान्य प्रशासन विभाग इस प्रकरण को अपने संज्ञान में लेगा।
1अगस्त से समिति अपने समस्त 3500 सदस्यों एव आम जनता के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम कानून के अंतर्गत कार्यमान रहेगी !अब समस्त सदस्यों को जानकारी प्राप्त करने में आसानी होगी।
लंबे अंतराल से इस मामले पर लड़ रहे लड़ाई पर अड़चनों के विषय में कहा:
काफी लंबे अंतराल से लगभग 5 से 6 वर्ष से चले आ रहे इस मामले पर क्या क्या अड़चने सामने आई के सवाल पर जयदीप चक्रवर्ती ने बताया कि सबसे बड़े दुःख की बात तो यह है कि सचिव अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से यह कहा गया कि समाज और समिति का मामला है कानूनी लड़ाई ना लड़ के आपसी सामनजस्यता से सारे समस्याओं का समाधान निकाला जाए !लेकिन उनके द्वारा किसी भी प्रकार का आशावादी जवाब कभी मिला ही नही। यह लगता है कि समिति पदाधिकारी ये मन मना कर बैठे हुए हैं कि चाहे समिति का व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक रूप से नुकसान हो तो झेलने के लिए वो तैयार बैठे हुए हैं। उनके द्वारा सदस्यों के समस्त विवादों को सुलझाने हेतु कोई पहल नही किया जा रहा है ये बेहद दुःख का विषय है।
अंत में जयदीप चक्रवर्ती ने कहा कि मैं प्रदेश के समस्त समाज, संस्था को संदेश देना चाहता हूं कि समिति या संस्था का जो निर्माण होता है वह आम जनों के हित के उद्देश के लिए ही होता है, और आम सदस्यों से मिलकर ही संस्था बनती है अतः संस्था के अंतिम व्यक्ति तक वो समस्त सुविधाएं पहुंचनी चाहिए जो समाज या समिति , संस्था शासन से प्राप्त करती है।

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