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आशीष तिवारी

आधा-आधा वाला कार्यकाल मुख्यमंत्री पद के लिए था लेकिन लागू हुआ काँग्रेस संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला पर:-

छत्तीसगढ़ काँग्रेस में नही चल रहा कुछ भी ठीक-वर्चस्व और मनमानी की लड़ाई हो रही पूरे प्रदेश में
आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in. रायपुर(छ.ग.)

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश काँग्रेस कमेटी में पहले ही ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले की फजीहत हो रही है, ना ही परिवर्तन हो पा रहा है मुख्यमंत्री पद को लेकर उल्टे जनता से कम्युनिकेशन में छत्तीसगढ़ काँग्रेस सरकार झल्लाहट में खरी-खरी बात एक महिला को सुना देती है और राजनीतिक मुद्दा बनता है तो माफी माँगने की याद आ जाती है। ये सारी बातें अभी कुछ दिन पूर्व छत्तीसगढ़ के वासियों ने देखी है।ढाई साल वाला मुख्यमंत्री का फार्मूला जो बंद कमरे में किया गया था,उस पर भी कोई निर्णय नही आ रहा है जबकि अब स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव भी खुले तौर पे सारी बातों को स्पष्ट रूप से और बड़े ही सहजता सरलता से सब के समक्ष और मीडिया के समक्ष भी कह चुके हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव के साथ जो व्यवहार अभी कुछ दिनों पूर्व बस्तर दौरे में हुआ है उससे पूरे प्रदेशवासी आहत हुए क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव स्पष्ट रूप से अपनी बात रखने तथा अपने काम मे सक्रियता, सरल-सहज और धैर्य स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और अपने इसी अंदाज के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेशवासियों के दिलों में राज करते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव का कुछ दिनों पूर्व का बयान जो उन्होंने शालीनता के साथ दिया कि मर्यादा के कारण हम कुछ बोलते नही हैं लेकिन अगर प्रदेशवासियों में ये बात चल रही है तो परिवर्तन होगा या नही उसका खुलासा होना चाहिए। इशारे-इशारे में ही सिंहदेव ने बहुत बड़ी बात कह दी है।
खैर ये तो हुआ मुख्यमंत्री पद का मामला, लेकिन अब ये फार्मूला छत्तीसगढ़ काँग्रेस के प्रभारी संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला पर लागू कर दिया गया और उनके पद से हटाकर महासमुंद के काँग्रेस नेता अमरजीत चावला को यह पद सौप दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का यह फैसला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी रास नही आया।

क्योंकि चंद्रशेखर शुक्ला ब्राम्हण समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं तथा किसानों के हित की राजनीति में हमेशा सक्रिय रहे,यह प्रदेश संगठन प्रभारी महामंत्री का पद मुख्यमंत्री बघेल के मुताबिक ही मोहन मरकाम द्वारा चंद्रशेखर शुक्ला जी को सौंपा गया था। चंद्रशेखर शुक्ला की छवि की बात करें तो शुक्ला जी अपने ईमानदारी, अपने कार्यों में हमेशा परिणामदायक सफलता कार्य-व्यवहार के लिए तथा किसानों के हितों को लेकर सक्रिय राजनीति के लिए ब्राम्हण समुदाय में तो लोकप्रिय हैं ही लेकिन संगठन एवं पार्टी में भी शुक्ला जी को स्वीकार किया गया।समर्थकों का यह भी कहना है कि शुक्ला को हटाने के फैसले को हम गलत नही कह रहे लेकिन जो तरीका हटाने के लिए किया गया वह ठीक नही है बिल्कुल गलत तरीका है।प्रदेश अध्यक्ष हों या पार्टी का कोई भी कार्य या जिम्मेदारी चंद्रशेखर शुक्ला को सौंपा गया हो उसे शुक्ला ने पूरा किया लेकिन शुक्ला के आलोचकों ने बार-बार भ्रामक बातें कर मरकाम के भी कान भरे कि चंद्रशेखर शुक्ला मुख्यमंत्री खेमे के हो गए हैं। जबकि शुक्ला ने हमेशा दोनो का मान रखा चाहे प्रदेश अध्यक्ष मरकाम हो या फिर मुख्यमंत्री हों हर फैसले पर पार्टी हित को सर्वोपरि रखने का कार्य चंद्रशेखर शुक्ला द्वारा किया गया। 

प्रदेश अध्यक्ष मरकाम के इस फैसले पर शुक्ला समर्थकों का कहना है कि अगर संगठन चुनाव को लेकर कोई बात या नाराजगी थी तो चंदशेखर शुक्ला को सम्मानजनक विदाई भी दिया जा सकता था। बात डिजिटल मेम्बरशिप को लेकर दोनो के बीच हुई बहस की है, जिससे मरकाम खुश नही थे।
खैर अब इसके बाद चंद्रशेखर शुक्ला जी का अगला कदम क्या होगा देखते हैं। लोग उन्हें पार्टी प्रवक्ता के रूप में भी देख रहे हैं और राज्यसभा के उम्मीदवार के रूप में भी देख रहे हैं।

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