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SUBHASH RATTANPAL
सुभाष रतनपाल



जगदलपुर। मंगलवार को बस्तर आए प्रधानमंत्री से लोगों को बड़ी व अहम घोषणाओं की उम्मीद थी। इन ज्वलंत विषयों पर यहां के 35 लाख लोगों को राहत देने की बजाय वे चुप्पी साध गए। बस्तरवासियों को सौगात देने की जगह वे भाषण ठोंककर चले गए। यह कहना है संसदीय सचिव व जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन का। मीडिया को जारी बयान में विधायक जैन ने कहा है कि जगदलपुर में एम्स की स्थापना, राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित टोल नाकों से वसूली, जगदलपुर में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना आदि बस्तर से जुड़े तमाम मुद्दों पर उन्होने केंद्रीय मंत्रियों को वर्ष 2019 में पत्र लिखा था लेकिन बस्तर की आम जनता से जुड़े किसी भी विषय पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस पहल आज तक नहीं की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि बस्तर हित से जुड़े इन मामलों पर वे सौगात देकर स्थानीय जनमानस को राहत प्रदान करेंगे लेकिन वे पुन: भाषणबाज साबित होकर चले गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी एम्स स्थापना, आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना, सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, टोल वसूली, दरभा के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण, रेल्वे, सड़क आदि विषयों पर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की जनता को राहत प्रदान करने वाली कोई भी बात नहीं कह गए हैं। इससे बस्तर के लाखों लोगों में घनघोर निराशा व्याप्त है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री यहां सार्थक पहल करने की बजाय आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति करने आए थे। 

2015 की घोषणाओं पर भी कुछ नहीं कहा

विधायक जैन ने कहा है कि प्रधानमंत्री मई 2015 में दंतेवाड़ा प्रवास पर आए थे। तब उन्होने हजारों करोड़ रुपये की सौगात बस्तर को देने की घोषणा की थी। आज भी पीएमओ इन्हें प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर प्रचारित करता है। आठ साल पहले की प्रधानमंत्री श्री मोदी की किन घोषणाओं पर कितना काम हुआ है? कितनी रकम खर्च कर बस्तरवासियों के हित में काम किए गए हैं ? वर्तमान में इनकी जमीनी हकीकत क्या है? यह जनता को बताया जाना था लेकिन प्रधानमंत्री ने कोई बात नहीं की। बस्तर अंचल से एनएमडीसी, रेलवे, जीएसटी आदि के मार्फत हर साल करोड़ों रुपये की कमाई करने वाली केंद्र सरकार यहां का पैसा यहां खर्च करने की बजाय आरोप- प्रत्यारोप की स्तरहीन राजनीति करने की राह पर चल रही है, जिसका जनता मुंहतोड़ जवाब देगी। लामनी- सरगीपाल रेलवे खंड पर फुट ओवरब्रिज की मांग भी मेरे द्वारा की गई है। हर साल लौह परिवहन से करोड़ों रुपये की आय अर्जित करने वाले केंद्र सरकार के विभाग रेलवे ने आज तक इस दिशा में भी कोई ठोस पहल नहीं की है जिससे क्षेत्रीय लोगों में काफी नाराजगी है।

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