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आशीष तिवारी

कोन है वो कांग्रेस नेता जिसे बेलतरा विधानसभा से टिकट दिलाने के लिए ब्राम्हणों समाज की आंखों में धूल झोंक कर रची गई छत्तीसगढ़ी ब्राम्हण महासमागम की साजिश और इसका सूत्रधार कौन..?
आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in.रायपुर(छ.ग.)

बेलतरा। छत्तीसगढ़ प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 21 विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों की सूची जारी करने के बाद प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टी विधानसभा के प्रत्याशियों के चयन में गंभीरता से विचार कर रही है और विधानसभा चुनाव लड़ने लिए दावेदार भी अपना प्रभाव क्षेत्र में दिखाने के लिए कई तरह के दाव पेच के साथ जोर आजमाइश व सामाजिक आयोजन संपन्न कराने में लगे हुए हैं।

सलाहकार की नायाब कोशिशें..
हाल फिलहाल में कुछ दिनों पूर्व ही इसी तरह का एक आयोजन बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में संपन्न हुआ जिसे समाज विशेष के लोगों ने महासमागम का नाम दिया, जिसमें एक सलाहकार की भूमिका मुख्य रूप से बताई जा रही है और वे कहते भी है कि मेरा काम है सलाह देना चाहे मुख्यमंत्री कांग्रेस का हो या फिर भाजपा का सलाह तो मै ही दूंगा। वैसे सलाहकार की इच्छा तो यही थे कि वह स्वयं ही बेलतरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े पर मुखिया की सहमति नहीं बन पाने के कारण ब्लॉक कांग्रेस कमेटी में अपना आवेदन भी नहीं दे पाए पर मुखिया का एक आदेश और भी था कि जिताऊ उम्मीदवार की तलाश करें, तो उन्होने उनके एक करीबी समर्थक पर बेलतरा विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ाने का दाव खेला और वो समर्थक भी ऐसा जो पांच साल पहले तो बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा रखता पर वर्तमान में बिलासपुर विधायक कांग्रेस का होने कारण कोटा से भी अपने दावेदारी की और अंतिम समय में बेलतरा विधानसभा की ओर अपना रुख मोड़ लिया।

अब सवाल यह है कि बेलतरा जीतेंगे कैसे और जिताएगा कौन..?

निश्चित ही अब सवाल तो यही था कि बेलतरा जीतेंगे कैसे और जिताएगा कौन क्योंकि अगर हम बेलतरा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो निश्चित तौर पर ब्राह्मण समाज का विशेष प्रभाव विधानसभा क्षेत्र में देखा गया हैं। जब यह बलौदा विधानसभा क्षेत्र था तब सन 1952 से 1972 तक चार बार रामेश्वर शर्मा जी विधायक रहें। सन 1972 से 1985 तक तीन बार राधेश्याम शुक्ला जी विधायक रहें। भारतीय जनता पार्टी से बद्रीघर दीवान जी जी चार बार विधायक रहें उसी तरह अरुण तिवारी और चंद्रप्रकाश बाजपई ने भी विधायक बनकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अब सलाहकार करे तो करे क्या, मुखिया का आदेश जो था पालन भी करना था और कर्ज भी छूटना था क्योंकि मुखिया ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा जो दिलाया था। उन्होंने बिलासपुर छत्तीसगढ ब्राह्मण विकास परिषद के अध्यक्ष को कांग्रेस प्रवेश कराया और छत्तीसगढ़ी ब्राह्मण विकास परिषद के द्वारा बैठको का आयोजन कर अपने लक्ष्य को साधने में लग गए। सलाहकार ने तो समाज के वरिष्ठजनों को बैठक के माध्यम यह भी समझाना शुरू कर दिया कि बेलतरा विधानसभा क्षेत्र से किसी ब्राह्मण को टिकिट नहीं मिलेगा और आप सभी बड़ा सोचिए आज मैं 13 मंत्री 8 विभाग सेकेट्री और 90 विधायकों को सलाह देता हूं यह तक कह डाला अब समाज के लोग करे भी तो क्या करें आखिर सलाहकार थे,ना चाहते हुए भी उनकी बात उन्हें सुननी पड़ी।

बैठकों पर बैठकों का दौर शुरू हुआ और अब शुरू हो गई महासमागम की तैयारी...

सलाहकार ने अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य को भेदने और महासमागम के लिए बैठकों का दौर शुरू कर दिया और उसे बैठक में ब्राह्मण समाज के बीच एक लकीर खींच दी गई जिसे सरयूपाली ब्राह्मण और कन्यकुब्ज ब्राह्मण का नाम दिया गया जिसका मुख्य कारण तो सलाहकार ही बता पाएंगे साथ ही उन्होंने अपने से निर्धारित बेलतरा विधानसभा के प्रत्याशी को बैठक में बुलाकर आयोजन में खर्चों की जिम्मेदारी भी दे दी, अब इस घटना से छत्तीसगढ़ ब्राह्मण विकास परिषद के पदाधिकारी व ब्राह्मण के समाज के सभी वरिष्ठजनों ने सामाजिक महासमागम का राजनीतिकरण किये जाने की चर्चा आम हो गई।


आइए अब बात करें कार्यक्रम की सफलता की..
सलाहकार ने प्रदेश से ब्राह्मण महासमागम के अयोजन में समाज के 25000 लोगों को एकत्रित करने की जवाबदारी ली थीं और भावी बेलतरा विधानसभा के प्रत्याशी ने राजीव युवा मितान क्लब के सदस्यों व बेलतरा विधानसभा के पार्षदों को भीड़ लाने की जवाबदारी सौंपी पर महज ढाई हजार से तीन हज़ार लोग ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे जिसके कारण दाहिने और बाएं और के लगे डोम को मुखिया के आने से पहले पर्दों से ढकवाना पड़ा। जो पूरे कार्यक्रम के दौरान चर्चा का विषय रहा और जब समाज के लोगों को एक ही कार्यक्रम के दो निमंत्रण पत्र व प्रशासनिक खर्च पर अयोजन की जानकारी हुई तो बहुत से वरिष्ठजनों ने तो कार्यक्रम में जाना उचित नहीं समझा और जो लोग वहां पहुंचे भी उनके बीच भी सामाजिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण किया जानें का मामला गर्माया रहा। 

अंत भला तो सब भला..
 एक कहावत है कि अगर अंत भला तो सब भला पर इस अयोजन में यह भी संभव नहीं हो पाया क्योंकि मुखिया जिसे ब्राह्मण समाज की भीड़ समझ रहे थे वह तो ब्राम्हणों के आलावा राजीव युवा मितान क्लब के सदस्यों व बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के वार्डो के पार्षदों द्वारा लाई गई भीड़ थी और जब मुखिया को प्रशासनिक सूचना तंत्र से इस बात की जानकारी हुई होगी तब उन्हें यह एहसास तो जरूर हुआ होगा कि उन्हें अपनों से ऐसी उम्मीद तो नहीं थी।

जले पर नमक व आग पर घी का असर तो देखिए जनाब...
कार्यक्रम का समापन हुआ और अगले ही दिन समाचार पर एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ ब्राह्मण विकास परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर प्रदीप शुक्ला और अन्य पदाधिकारीयों की फोटो ही गायब थी क्योंकि उन्होंने अपना काम तो कर दिया था अब सलाहकार को उनकी जरूरत तो थी ही नहीं और इस अयोजन के बाद छपे विज्ञापन पर छत्तीसगढ़ी ब्राह्मण विकास परिषद के समस्त पदाधिकारी व सदस्यों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया और आने वाले बैठक में ऐसे फोटो छपास लोगों को संज्ञान लेने की चर्चा की गई खैर अब आप तो समझ ही गए होंगे कि यह पुरी साजिश किस चतुष्पद कांग्रेस नेता को बेलतरा विधानसभा से टिकट दिलाने के लिए रची गई। आइए सोचे छत्तीसगढ़ी ब्राम्हण महासमागम की साजिश और इसका सूत्रधार कौन हैं,क्या ऐसे साजिशकार समाज और सत्ता के लिए कितने सही है..?

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