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सुभाष रतनपाल




भोपाल/जगदलपुर:- मध्य प्रदेश की राजनीतिक में मंगलवार को बड़ा भूचाल आने की संभावना है, 4 घंटे की स्पेशल मीटिंग के लिए गृह मंत्री अमित शाह आज देर शाम भोपाल पहुंचेंगे उनके साथ मध्यप्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव और कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी साथ होंगे।

 भोपाल पहुंचकर ग्रह मंत्री अमित शाह विधायकों से वन टू वन विधायकों से मुलाकात करेंगे और संभावना यह जताई जा रही है कि कोई बड़ा फेरबदल हो सकता है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का जिम्मा गृह मंत्री अमित शाह ने पहले अपने कंधों पर ले रखा है इसके साथ ही वह संगठन के पदाधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे,सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर चर्चा हो सकती है साथ ही साथ शिवराज सिंह चौहान को ले कर भी कोई बड़ा फैसला आने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

आइए जानते है क्या है पूरा मामला

केंद्रीय मंत्री अमित शाह अचानक मध्य प्रदेश के दौरे पर जा रहे हैं. चंद घंटों के इस दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री बीजेपी के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. उनकी इस यात्रा का आने वाले विधानसभा चुनावों पर सीधा असर रहेगा.

 विधानसभा चुनाव के चार महीने पहले भारतीय जनता पार्टी ने भूपेंद्र यादव को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया है तो केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को सहप्रभारी बनाया गया है. अब इस फैसले के चंद दिनों बाद ही अचानक गृह मंत्री अमित शाह भी सूबे के दौरे पर हैं.

शाह का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब एक दिन पहले ही कैलाश विजयवर्गीय की दिल्ली में उनसे मुलाकात हुई है. इसके कुछ देर बाद ही अमित शाह के भोपाल दौरे का प्लान सामने आया है. ऐसे में आखिर अमित शाह अचानक चंद घंटों के लिए ही मध्य प्रदेश क्यों जा रहे हैं? उनके इस दौरे के सियासी मायने क्या हैं? क्या वो इस दौरान कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए मध्य प्रदेश के मौजूदा हालातों और सवालों को टटोलना होगा.

अगले साल मई में लोकसभा का चुनाव होना है. उससे ठीक पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं. इन तीनों ही राज्यों में पिछली बार भारतीय जनता पार्टी को हार का खट्टा स्वाद चखना पड़ा था. हालांकि, मध्य प्रदेश में 2018 में बीजेपी ने हारी बाजी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से 2020 में जीत ली और सत्ता पर काबिज हो गई. इस दौरान सिंधिया समर्थक कई नेता भी बीजेपी से जुड़े और बीजेपी में एक नया ‘सिंधिया गुट’ बन गया. पहले से ही अंतर्कलह में फंसी बीजेपी में इस खेमे के आ जाने के बाद गुजबाजी और भी बढ़ गई.


गुट और उनकी महत्वकांक्षाएं

राजनीति के जानकारों का कहना का कहना है, की भारतीय जनता पार्टी में अंतर्कलह काफी ज्यादा है. 2020 के बाद जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से जुड़े हैं तबसे ये अंतर्कलह और भी ज्यादा बढ़ गई है. खासकर उन इलाकों में जहां सिंधिया समर्थक बीजेपी से जुड़े हैं. भारतीय जनता पार्टी कैडर आधारित पार्टी है और कैडर आधारित पार्टी में इस अंतर्कलह का भारी नुकसान हो सकता है.”

सिंधिया के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल और नरोत्तम मिश्रा के गुट मध्य प्रदेश बीजेपी में प्रमुख हैं, जिनकी अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं भी हैं, जिसके लिए वक्त बे वक्त अपना तेवर वो दिखाते रहते हैं.

CM चेहरा बदलने का सवाल?

गुटबाजी-अंतर्कलह के अलावा एक सच ये भी है कि बीजेपी साल 2018 में शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव हार चुकी है. यही सच पार्टी को बीच-बीच में कचोटता रहता है. यही अक्सर कारण भी रहता है उन अफवाहों के यदा कदा उठने का कि पार्टी सूबे में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के मूड में है. राज्य में चुनाव से पहले जातिगत समीकरणों को साधने की कवायद को लेकर सूबे के बीजेपी अध्यक्ष को बदलने की बात भी काफी समय से उठ रही है.

इन तमाम सवालों, संशयों और गुटबाजी के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन में पशोपेश की स्थिति बन गई है. कोई ये नहीं जानता की मुख्यमंत्री और राज्य के अध्यक्ष का क्या होगा. जब उन्हीं से ये सवाल किया जाता है तो वो भी पार्टी नेतृत्व के निर्णय को सिरमौर करने की बात कहते हैं. ये सवाल, गुटबाजी और नेता अपनी-अपनी जगहों पर इतने मजबूत हैं कि किसी अन्य नेता द्वारा इनको साधना दूर की कौड़ी है. ऐसे में खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला है.

केंद्र से लड़ा जाएगा MP का चुनाव

सबसे पहले तो केंद्रीय नेतृत्व ने भूपेंद्र यादव को मध्य प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया है. यादव ने मध्य प्रदेश मे अब तक कोई काम नहीं किया है, लेकिन वो पड़ोसी राज्य राजस्थान से संबंध रखते हैं और लगातार मध्य प्रदेश के नेताओं से संपर्क में भी रहते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी और भरोसेमंद हैं. यानी उनके जरिए मध्य प्रदेश की हर जानकारी सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को रहेगी. मध्य प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले काफी पहले से ही ये बोलते आए हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में सारे फैसले केंद्र से होंगे न कि राज्य से.


इसी की बानगी है गृह मंत्री अमित शाह का ये दौरा. शाह मध्य प्रदेश में प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक करने वाले हैं. महज कुछ घंटों के इस दौरे में अमित शाह सिर्फ पार्टी पदाधिकारियों के संग ही बैठक करेंगे, यानी उनका मकसद साफ है कि संगठन के भीतर पनप रही गुटबाजी और मुख्यमंत्री के पद को लेकर मचे संशय पर स्थिति साफ करना और नेताओं को एकजुट हो चुनाव की तैयारियों में उतरने का सीधा-साफ निर्देश देना.

शिवराज पर ही भरोसा

केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि शिवराज सिंह चौहान का मुख्यंत्री के तौर पर काम बेहतरीन रहा है, लेकिन संगठन स्तर पर ऐसा नहीं रहा. इसलिए नेतृत्व खुद ही फैसले लेने के मूड में है. गृह मंत्री अमित शाह का दौरा भी इसी इरादे से देखा जा रहा है जानकारों का कहना है कि अमित शाह के दौरे का मकसद साफ है संगठन को एकजुट करना. वो आगे बताते हैं कि बीजेपी का नेतृत्व मजबूत फैसले लेने के लिए पहचाना जाता है और अमित शाह अपने इस दौरे के दौरान संगठन स्तर पर कई मजबूत फैसले ले सकते हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर हाल ही में कुछ सर्वे भी हुए हैं. इन सर्वे में नतीजे भले ही कांग्रेस को सीधे बढ़त नहीं दिखा रहे हों, लेकिन कांटे की टक्कर दिखाया जाना भी बीजेपी के लिए चिंता की बात है. पार्टी हरगिज भी लोकसभा चुनावों के ठीक पहले मध्य प्रदेश को गंवाना नहीं चाहेगी, क्योंकि इसके नतीजे आगामी लोकसभा चुनाव पर असर डाल सकते हैं.

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