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आशीष तिवारी

भाजपा को अंडर ग्राउंड एजेंट के रूप में तुष्टिकरण की राजनीति के लिए फील्ड तैयार कर दे रहे हैं केके पाठक:- इन्तेखाब आलम

आशीष तिवारी उप-संपादक Thewatchmannews.in.रायपुर(छ.ग.)

पटना। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव केके पाठक लगातार पत्रबाज़ अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। अचानक से पाठक द्वारा बिहार में शिक्षकों को दिए जाने वाले रक्षाबंधन, दीपावली, भैयादूज और छठ पूजा जैसे विभिन्न महत्त्वपूर्ण धार्मिक भावनाओं से जुड़े त्योहारों के छुट्टियों में कटौतियां किए जाने से पुरे बिहार में आक्रोश का माहौल है। जहां भाजपा द्वारा महागठबंधन सरकार पर हिन्दू धर्म के आस्था से खिलवाड़ कर हिन्दू त्योहारों पर छुट्टी रद्द करने का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है। वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनपर एनडीए के लिए सेक्रेट एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया है। इन्तेखाब आलम ने कहा कि भाजपा सरकार के तानाशाही रवैए से जनता परेशान है और पूरे भारत में परिवर्तन की लहर है इंडिया का पलड़ा भारी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक लोकसभा चुनाव को देखते हुए जानबूझकर धार्मिक भावनाओं के विपरित पवित्र त्योहारों के छुट्टियों को रद्द कर भाजपा के एजेंट के रूप में भाजपा को तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए मैदान तैयार कर दे रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से एनडीए गठबंधन को फायदा पहुंचाने का साजिश रच रहे हैं। श्री इन्तेखाब आलम ने कहा कि जहां एक तरफ मुंबई में महागठबंधन द्वारा जुड़ेगा भारत जीतेगा इंडिया के नारों के साथ एनडीए को परास्त करने की तैयारी चल रही है वहीं बिहार में केके पाठक जैसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस प्रकार के उलजलूल हरक़त से इंडिया गठबंधन की क्षवि ख़राब करने की कोशिश की जा रही है माननीय मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी को तुरंत इस मामले पर संज्ञान लेते हुए इस एनडीए के एजेंट को बाहर का रास्ता दिखाते हुए छुट्टी रद्द करने संबंधित आदेश को निरस्त कर देना चाहिए।

श्री इन्तेखाब आलम ने कहा कि अगर टेक्निकल तौर पर भी देखें तो शिक्षकों और स्कूली बच्चों को साल में 60 दिन का अवकाश बिहार शिक्षा संहिता सेवा के आधार पर कानून के तहत मिलता आ रहा है। गौर करने की बात है वर्तमान में जो बिहार सरकार के द्वारा संशोधित अवकाश पत्र निकाला गया है उसमें इस बात की चर्चा भी है कि शिक्षा अधिकार कानून के तहत साल में 200 से 220 दिन प्रारंभिक स्कूलों में अध्ययन अध्यापन के लिए खोलना है। इस प्रकार साल में 365 दिनों में60 पर्व त्यौहार का छुट्टी और52 रविवार दोनों मिलकर 112 दिन छुट्टी होता है इस प्रकार 365-112=253 दिन होता है 220 दिन के जगह 253 दिन हो जाता है तो फिर किस हिसाब से छुट्टी कटौती की गई ! सीधा-सीधा शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान करने और विपक्षी दलों को तुष्टिकरण की राजनीतिक करने के लिए मैदान प्रदान करने की गहरी साजिश है।

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