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SUBHASH RATTANPAL
सुभाष रतनपाल

सालों से लंबित इंद्रावती विकास प्राधिकरण के गठन के बाद अब नियूक्तियां भी,सीएम ने खुद रखा प्राधिकरण अपने पास,राजीव शर्मा को संगठन के साथ अब संवैधानिक जिम्मेदारी भी,विधानसभा चुनावों से पहले इस नियुक्ति के निकाले जा रहे कई मायने।



जगदलपुर। बस्तरवासियों की लंबित मांग अब पूरी हो गई है, कांग्रेस की सरकार ने पहले इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन किया था अब इसमें नियूक्तियां भी कर दी गई हैं।  इस पूरे मामले मे खास बात यह कि प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद खुद सीएम ने अपने पास रखा है। इसके अलावा बस्तर में लोकप्रिय व दंबंग नेता माने जाने वाले कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष और सीएम के बेहद करीब माने जाने वाले राजीव शर्मा को प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है और उन्हें केबिनेट मंत्री का भी दर्जा दिया गया है। ठीक विधानसभा चुनावों से पहले हुई इस नई नियुक्ति के कई मायने निकाले जा रहे है। राजैनितिक गलियारों में चर्चा है कि राजीव शर्मा के पास संगठन की ताकत तो पहले से थी लेकिन अब उन्हें इस पद पर बिठाकर संवैधानिक ताकत भी सीएम ने दे दी है। राजीव उपाध्यक्ष के साथ-साथ अब शहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष का काम देखेंगें। इधर नियुक्ति के बाद राजीव शर्मा ने कहा है कि विपक्ष और सरकार में रहने के बाद जनता की भलाई के लिए जो काम किए गए हैं उसी तर्ज पर आगे भी इंद्रावती के लिए काम किया जाएगा। इधर नियुक्ति के खबर बाद बस्तर में जश्न का माहौल है। कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस भवन के बाहर फटाके के फोड़ कर जश्न मनाया है। इंद्रावती प्रधिकरण के गठन से आम जनता भी खुश नजर आ रही है लोगो को उमीद है कि अब इंद्रावती के मामले में जल्द समाधान निकलेगा।


मरती इंद्रावती को बचाने के लिए प्राधिकारण का हुआ था गठन अब होगा काम

इंद्रावती नदी को बस्तर की जीवनदायनी कहा जाता है लेकिन ओड़िशा सरकार ने जोरा नाला के पास एक एनिकेट बनाकर इसकी धार को कमजोर कर दिया है ।जिसके चलते  गर्मी के दिनों में तो इंद्रावती पूरी तरह से सूख जाती है। यह स्थिति पिछले एक दशक से बनी हुई है। ऐसे में बस्तर के लोग लगातार इंद्रावती को बचाने के लिए प्रयासरत थे। पूर्वती सरकारों ने इस ओर से कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के तत्काल बाद मुख्यमंत्री ने बस्तर के लोगों की मांगों को देखते हुए 30 मई 2019 को इंद्रावती विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी और 26 अगस्त 2021 को इसे कानूनी रूप से दस्तावेजों में अंकित भी कर दिया।  इसके बाद अब प्राधिकरण की  कमान सीएम ने खुद अपने हाथों में ले ली हैं।

ये भी जाने राजीव को ही क्यों दी कमान क्योंकि ओड़िशा से लड़ने में राजीव सक्षम

विधानसभा चुनावों से ठीक से पहले राजीव शर्मा को संवैधानिक ताकत देने के पीछे के कई मायने हैं। दरअसल प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी तब राजीव शर्मा ने पूरी ताकत से भाजपा के खिलाफ काम किया था। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी राजीव ने कोई नया पद नहीं लिया और संगठन के लिए काम करते रहे। इस दौरान कई उपचुनावों,निकायों और पंचायतों चुनावो में बस्तर से बेहतर नतीजे दिए। इसके अलावा गंभीर राजनितिक मुद्दों का भी बड़ी कुशलता के समाधान निकाल दिया। अब ठीक चुनावों से पहले इंद्रावती जैसे गंभीर मामले में भी उन्हें समाधान के लिए ही उपाध्यक्ष बनाया गया है। माना जा रहा है कि वे प्राधिकरण में सीएम प्रतिनिधि के तौर पर ओड़िशा सरकार से भी लड़ाई लड़ेंगे।  चूंकि यह पूरा मामला दो राज्यों के बीच जूड़ा हुआ हैं। ऐसे में सीएम भी चाह रहे थे कि उनके प्रतिनिधि के तौर पर कोई दमदार व योग्य नेता ओड़िशा से बात करे । यहीं कारण है कि राजीव को प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है और उन्हें केबिनेट मंत्री के दर्जे से भी नवाजा गया है।

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