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सुभाष रतनपाल





 अविश्वास प्रस्ताव से डर कर क्यों भागा कांग्रेसी सत्ता पक्ष,निगम आयुक्त को हटाने क्यों आमदा है महापौर सहित कांग्रेस पार्षद, राजनीतिक द्वेष व भेदभाव से कब उपर उठेगी सत्ताधारी कांग्रेस 

जगदलपुर। विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। आरोप प्रत्यारोप,बयान के तीर चलने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी के पार्षद आलोक अवस्थी ने नगर निगम क्षेत्र में विकास का दावा करने वाली कांग्रेस से पांच सवाल पूछे है और उनका सही जवाब भी देने कहा है। 

1) भाजपा पार्षद दल द्वारा नगर निगम में कांग्रेस की महापौर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब ऐसा कौन सा डर था कि अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाय महापौर सहित कांग्रेस के सभी 29 पार्षदों को शहर से पलायन कर राजधानी रायपुर में शरण लेनी पडी़ थी। यदि सत्ता दल कांग्रेस बहुमत में हैं, भाजपा पार्षदों के लगाये आरोप झूठे हैं तो कांग्रेस की महापौर व पार्षदों को पीठ दिखा कर भागने की नौबत क्यूँ आयी ? 

2) कांग्रेस शासित नगर निगम में ऐसा कौन सा खेल चल रहा है, जिसको लेकर कांग्रेस की महापौर समेत सभी कांग्रेसी पार्षद निगम आयुक्त को हटाने, स्थानांतरण कराने में बार-बार आमदा हो जाते हैं। पूर्व निगम आयुक्त दिनेश नाग, के एस पैकरा के बाद अभी वर्तमान आयुक्त हरेश मण्डावी को हटाने निगम के सत्ता पक्ष ने मोर्चा खोला हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि सत्ताधारी कांग्रेस को शहर विकास व जन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है, सिर्फ मतलब के लिये राजनीतिक खेला ही उनका उद्देश्य है। 

3) भाजपा पार्षद दल आरंभ से ही कांग्रेस की महापौर द्वारा राजनीतिक भेदभाव किये जाने का आरोप लगा रहा है। वर्तमान में 20 नये आटो वाहन शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के आये थे, सभी नये आटो कांग्रेस के पार्षदों के वार्डों में दे दिये गये और उन वार्डों के पुराने जर्जर आटो को भाजपा पार्षदों के वार्डों को दिया जा रहा है। कांग्रेस और उनकी महापौर बतायें कि शहर के 19 वार्ड, जहाँ भाजपा पार्षद निर्वाचित हुये हैं, जगदलपुर शहर का हिस्सा नहीं है। क्या कांग्रेस इन 19 वार्ड के निवासियों को जगदलपुर शहर का सम्मानीय नागरिक मानने से इंकार करती है? ऐसा भेदभाव करने का कारण क्या है ?

4) जगदलपुर को अस्वच्छ बनाने व गंदगी के ढेर में ढकेलने का कीर्तिमान निगम में काबिज सत्ताधारी कांग्रेस ने बनाया है। इस लचर सफाई व्यवस्था के कारण ही बीते साल जगदलपुर शहर में डेंगू का प्रकोप कहर बन कर टूटा था। तीन माह तक लगातार लोग डेंगू के चपेट में आ रहे थे। जिसमें 12 से अधिक अकाल मौतें हुई थी और तीन हज़ार से लोग गंभीर रूप से बीमार हुये थे। आलम यह था कि मरीजों को अस्पताल में दाखिल करने जगह नहीं मिल रही थी। कांग्रेस के जनप्रतिनिधि, महापौर सहित कांग्रेसी सत्ता पक्ष ने आज तक अपनी इस गलती, इस चूक को नहीं स्वीकारा है और न ही खेद व्यक्त करने की हिम्मत जुटाई है। क्या कांग्रेसी सत्ता पक्ष डेंगू के फैले प्रकोप व अकाल मौतों की जिम्मेदारी से इंकार करेगा ? 

5) शहर के मध्य स्थित नयापारा क्षेत्र में हाता मैदान से लेकर जिला न्यायालय तक की लगभग 800 मीटर सड़क का बहुप्रतीक्षित चौड़ीकरण कार्य नहीं होने देने का दोषी कौन है ?  इस व्यस्ततम मार्ग से प्रतिदिन आधा शहर गुजरता है, इस प्रमुख मार्ग के चौड़ीकरण के लिये दो-दो बार तत्कालीन कलेक्टरों की पहल से पीडब्ल्यूडी विभाग ने प्राक्कलन भी तैयार कर लिया था, निगम की सामान्य सभा में भी यह विषय बारंबार प्रमुखता से उठाया गया। लेकिन राजनीतिक द्वेष जगजाहिर करते हुये प्रमुख मार्ग का चौड़ीकरण जानबूझकर रोका गया। जबकि इस व्यस्ततम मार्ग में कांग्रेस के ग्रामीण जिला अध्यक्ष बलराम मौर्य व इंद्रावती विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजीव शर्मा का निवास भी है। सत्ताधारी कांग्रेस बताये कि जनहित से जुड़े कार्य महत्वपूर्ण है या फिर राजनीतिक द्वेष ? 

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