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SUBHASH RATTANPAL
सुभाष रतनपाल

जगदलपुर /कमिश्नर श्याम धावड़े ने बादल एकेडमी में सभी जनजातीय समुदायों के सक्रिय भागीदारी की अपील की। आसना स्थित बादल एकेडमी में आज संभागस्तरीय जनजातीय समाज की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कमिश्नर श्याम धावड़े ने कहा कि बस्तर अपने गौरवशाली इतिहास, अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ समृद्ध जनजातीय संस्कृति से परिपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि बस्तर में विभिन्न जनजातीय समुदाय निवास करती हैं। इनकी संस्कृति और परंपराओं को पुजारी, मांझी-मुखिया आदि के माध्यम से नई पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है। समय के साथ कुछ परंपराएं पीछे छूट जाती हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत को संरक्षित करते हुए इन्हें आगे बढ़ाना है। इसी मंशा के तहत स्थापित बादल एकेडमी बस्तर की जनजातीय परंपराओं को संरक्षित रखते हुए इन्हें आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि बस्तर के आदिवासियों के अधिकारों को दिलाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में वन अधिकार पत्र भी प्रदाय किए जा रहे हैं तथा इसका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।

पुलिस अधीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि बस्तर की नकारात्मक छवि अब सकारात्मक हो रही है। विकास, विश्वास और सुरक्षा की भावना के साथ किए जा रहे कार्य से बस्तर में बादल एकेडमी के माध्यम से यहां की संस्कृति एक बार पुनः जीवित हो रही है।  उन्होंने कहा कि बस्तर में शांति की स्थापना के कारण पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। बस्तर की संस्कृति, यहां के नृत्य, संगीत को पर्यटकों तक पहुंचाने में बादल एकेडमी की विशेष भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि बादल एकेडमी के माध्यम से बस्तर की संस्कृति का प्रसार न केवल अन्य स्थानों में होगा, बल्कि यह आने वाली हमारी पीढ़ी तक भी हस्तांतरित होगी।
कलेक्टर रजत बंसल ने कहा कि बादल एकेडमी के बस्तर का अर्थ सिर्फ बस्तर जिले से नहीं है, बल्कि यह पूरे बस्तर अंचल को प्रदर्शित करता है। उन्होंन कहा कि बादल एकेडमी का संचालन सिर्फ प्रशासन के माध्यम से नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए समाज के लोगों के निरंतर सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बस्तर में निवासरत विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों, पूजा-पद्धति, सामाजिक ताना-बाना का अभिलेखीकरण समाज के जानकार लोगों के मार्गदर्शन में पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि बस्तर के समृद्ध जनजातीय संस्कृति, परंपराओं के प्रदर्शन के लिए बादल एकेडमी में प्रत्येक शनिवार को बादल मंडई का आयोजन भी किया जाएगा। इसकी शुरुआत 25 जून को धुरवा समाज द्वारा आयोजित मंडई से होगी।
कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि बस्तर की संस्कृति, भाषा-बोली, नृत्य-संगीत, यहां के व्यंजन और लोगों के व्यवहार में एक मधुरता है, जिससे पूरे विश्व को अवगत कराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें हमारी परंपराओं को जानने और हमारी संस्कृति की अच्छाईयों को आगे ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बादल एकेडमी इन उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अवसर पर सुकमा कलेक्टर विनीत नंदनवार, बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कटारा, नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी, दंतेवाड़ा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आकाश छिकारा, नारायणपुर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी देवेन्द्र ध्रुव सहित संभाग के सभी जिलों के आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त सहित समाज प्रमुख उपस्थित थे।

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