SUBHASH RATTANPAL
सुभाष रतनपाल
THE WATCHMAN NEWS.IN
10 सदस्य निकले थे माउंट के लिए, 3 का स्वास्थ्य हुआ खराब
जगदलपुर:-जगदलपुर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने एक बार फिर से लेह लद्दाख की ऊंची चोटी में चढ़कर फतेह हासिल की है, अपनी इस फतेह के बारे में नैना सिंह ने बताया कि 8 अगस्त 2022 को 10 सदस्यीय भारतीय टीम में बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ पर्वतारोहन अभियान में फिर से शामिल हो देश राज्य व क्षेत्र का नाम नए रिकॉर्ड के साथ हासिल किया, मिशन हर घर, हर हाथ तिरंगा में लेह लद्दाख की चोटी माउंट मेन्टोक कांगड़ी 3 जिसकी ऊंचाई 6250 मीटर, मेन्टोक कांगड़ी 2 जिसकी ऊंचाई 6150 मीटर व मेन्टोक कांगड़ी 1 जिसकी ऊंचाई 6100 मीटर हैं, जहाँ (-) टेम्प्रेचर, तेज हवाओं के बीच बेस कैम्प से रात 1.20 मिनट में निकल अपने अभियान को 1 बजे सफलता हासिल किया, साथ ही साथ देश का तिरंगा लहराया, राष्ट्रीयगान गाकर उन चोटियों पर विजयी देश का मान बढ़ाया, 17 घण्टे आरोहण अवरोहण लगातार कर सफलता हासिल किया, साथ ही साथ हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का राज्यगीत अरपा गीत उस चोटी पर गाकर हमारे राज्य को एक नई पहचान दिलवाया, एक साथ 3 पहाड़ो में लगातार चढ़ने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला हैं
बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़, पहले कदम में जब अभियान के लिए 10 सदस्य निकले तब लेह लद्दाख से सब सुरक्षित थे। पर जब (लेह लद्दाख़) करजोक गांव के आगे सोमोरोरी लेक के पास ट्रांसिट कैम्प से निकले तो धीरे धीरे टीम के सदस्यों की तबियत बिगड़ रही थी, बेस कैम्प पहुँचते तब तक टीम के 3 सदस्य की सेहत सही नही थी। उनके उपचार के लिए उन्हें बेस कैम्प में छोड़ 7 सदस्य आगे बढने लगे, जिसमे नैना सिंह धाकड़ 6 पुरुष पर्वतारोहियो में अकेली महिला पर्वतारोही थी। बेस कैंप 5300 मीटर पर था, 13 मई बेस कैम्प से निकल समिट कैम्प 5600 मीटर पर गए, खड़ी ऊंची ,नीची ,पथराव व जानलेवा रास्ते से होते हुए शाम 6 बजे समीट कैम्प 5600 मीटर पर पहुचे। पर एक पर्वतारोही अभी तक नही पहुँचा था। बाकी सभी परेशान होने लगे। वो रात 8 बजे के बाद पहुँचा। पर उसकी हालत गम्भीर थीं। पूरी रात परेशानियों का सामना करना पड़ा। मौसम खराब से सब थके हुए थे। सुबह होते ही 7 में से एक पुरुष पर्वतारोही की तबियत देख सब के होश उड़ चुके थे,अब कुछ पर्वतारोही बीमार पड़े पर्वतारोही को नीचे उतारने में लग गए। 2 पुरूष व बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ आगे चोटी फतह करने के लिए तैयार थे।
14 अगस्त बीत गया , 15 अगस्त मिशन हर घर तिरंगा को आगे बढ़ना चाहे पर मौसम इतना ज्यादा खराब की 3 दिनों तक बर्फबारी, व्हाइट हाउस, बारीश 70 से 80 स्पीड में चल रही हवा, उस समय मौसम के मात को सहते हुए टेंट के अंदर ही अपना दिन काटने लग गए। खाना एक दिन का था जो खत्म हो गया था। पानी 10 मीटर दूर एक धार बह रही थी, वो भी माईनस टेम्प्रेचर में जम चुकी थी। जो बोटल में पानी था, उससे ही अपने शरीर से टच कर गर्म कर पी रहे थे। दिन गुजर रहा और सहने की शक्ति कम होते जा रही थी। अंत ऐसा हुआ कि 16 अगस्त को विचार कर नीचे आने का नैना ने सोचा। क्योंकि जो 2 पर्वतारोही और थे उनके हेल्थ को देख, खराब मौसम में लीड कर बेस कैम्प के लिए निकल पड़े। बहुत ज्यादा मौसम खराब के चलते वह पूरी कोशिश कर बेस कैम्प 6 घण्टे के लगातार अवरोहण कर पहुँच गए। 10 टीम वहां आई। ऑर्मी,N CC, फॉरेनर्स, सिविलियन, नेपाली पर खराब मौसम को देख सभी बेस कैम्प से ही नीचे चले गए। पर नैना की टीम पूरे 8 दिनों तक वही टिकी रही, पर एक बार फिर कोशिश किया और 17 अगस्त की रात 1बजकर 20 मिनट में सीधे बेस कैम्प 5300 मीटर मेन्टोक कांगड़ी 3, जिसकी ऊंचाई 6250मीटर हैं, सफलता के लिय निकल पड़े। और 18 अगस्त 2022 को 1बजे टॉप पर पहुँच देश का तिरंगा लहराया।
टॉप पैट पहुँचते ही सबसे पहले देश का तिरंगा लहराया व राष्ट्रीय गीत गाया गया, उसके बाद छत्तीसगढिया सबले बढ़िया बेनर व राज्य की गीत अरपा पैरी की धार, महानदी हैं, श्रृंगार गीत गाया। वही श्रीराम का झंडा व जय जय कार किया गया, उसके बाद स्वामी विवेकानंद का बेनर (उठो जागो और तब तक नही रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये फहराया गया, बेटी नही किसी से कम बेटी को मिलेगा देश को दम ( बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ ) बेनर भी फहराया गया,
वही अमचो बस्तर का बेनर के साथ ही योग करो फिट रहो का संदेह पहाड़ो की चोटी से दिया गया। योग कर खुद उस ऊंचाई पर से प्रेरित किया हैं। पूरे अभियान को सफलता हासिल कर कल ही बस्तर की बेटी स्वस्थ सुरक्षित बस्तर वापस आने को तैयार हो गई है,