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SUBHASH RATTANPAL
सुभाष रतनपाल



जगदलपुर,/ हरियाली अमावस्या के मौके पर बस्तर की आराध्य देवी माँ दन्तेश्वरी मन्दिर के सामने सोमवार को पाट जात्रा पूजा विधान के साथ ही विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व शुरू हो गया। बस्तर दशहरा पर्व के इस प्रथम पूजा विधान में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, महापौर सफीरा साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और बस्तर दशहरा पर्व समिति के पारंपरिक सदस्य मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, पुजारी-गायता तथा जिला कलेक्टर विजय दयाराम के एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में जनसमुदाय शामिल हुए।

     ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के पहले पूजा विधान पाट जात्रा में रथ निर्माण के लिए बनाये जाने वाले औजार ठुरलू खोटला तथा अन्य औजारों का परम्परागत तरीके से पूजा-अर्चना कर रस्म पूरी की गयी। इसके साथ ही विश्व  प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व शुरू हो गया, जो इस वर्ष करीब 107 दिवस की अवधि तक पूरे आस्था,श्रद्धा और पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख पूजा विधानों को निर्धारित तिथि अनुसार सम्पन्न की जाती है।


 जिसके तहत आगामी 27 सितम्बर को डेरी गड़ाई रस्म,14 अक्टूबर को काछनगादी पूजा विधान,15 अक्टूबर को कलश स्थापना एवं जोगी बिठाई रस्म पूरी की जायेगी। वहीं 21अक्टूबर को बेल पूजा और रथ परिक्रमा विधान,22 अक्टूबर को निशा जात्रा एवं महालक्ष्मी पूजा विधान,23 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई और मावली परघाव पूजा विधान होगी। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के दौरान 24 अक्टूबर को भीतर रैनी पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान,26 अक्टूबर को काछन जात्रा तथा 27 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान पूरी की जायेगी और 31 अक्टूबर को माई दन्तेश्वरी की विदाई के साथ ही विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व सम्पन्न होगी।

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